गेरुए वस्त्रों से लोगों की गुणग्राहकता एकदम बठ़ जाएगी
मठाधीशजी ने कहा , हमारी भी इच्छा है, आपके हाथों से आपके गुरु का कार्य और अच्छी तरह से हो इसीलिए यह सब बातों कह रहे हैं। अगर आपने गेरुए वस्त्र पहने तो लोग प्रथम दिन से ही आपके प्रति सकारात्मक भाव रखना प्रारंभ करेंगे और शिविर का परिणाम बहुत अच्छा आएगा। आप शांति से इस बात पर सोचो ऐसी हमारी इच्छा है, क्योंकि गेरुए वस्त्रों से लोगों की गुणग्राहकता एकदम बठ़ जाएगी। बाद में मैंने सभी को नमस्कार किया और सभी से बिदाई लेकर घर की ओर चला गया। मठाधीशजी ने अपनी कार मुझे लेने और पहुँचाने के लिए देकर रखी थी
बाद में जब घर पहुँचे तो रात ही हो गई। रात को भी घर जाकर नहाया और बाद में खाना खाया। हमारी खाने के बाद भी मठ के साधुओं के बारे में ही चर्चा चल रही थी । मठ के शिविर में अलग साधुओं के अलग-अगल अनुभव आए थे और इतने साधुओं के साथ शिविर लेने का मेरा यह प्रथम ही अवसर था इतना बड़ा आठ दिन का शिविर मैंने जीवन में प्रथम बार ही लिया था। आज मठ के साधुओं का शिविर लिए करीब एक माह हो गया था, लेकिन आज भी साधुओं के उस शिविर की यादें मेरे मन में थीं।
एक बड़े शिविर के बाद थोड़े आराम और एकान्त की भी आवश्यकता थी।
भाग - ६ - ३१९/३२०
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