धर्म और अध्यात्म
"लोग धर्म और अध्यात्म को एक ही समझते हैं | वास्तव में ऐसा नहीं है | धर्म सीढ़ी है तो अध्यात्म 'मकान' है, जहाँ प्रत्येक को अपने-अपने उपासना पद्धति यानी धर्म के द्वारा पहुँचना होता है | प्रत्येक आध्यात्मिक व्यक्ति किसी-न-किसी उपासना पद्धति का सहारा लेकर ही वहाँ तक पहुँचा होता है | हमारा 'अध्यात्म' से आशय आत्मिक ज्ञान से है | धार्मिक व्यक्ति तो आपको समाज में हजारों मिल जाएँगे लेकिन 'आध्यात्मिक व्यक्ति' कम ही हो पाते हैं | कोई भी कट्टर धार्मिक व्यक्ति कभी भी आध्यात्मिक स्थिति को नहीं पा सकता क्योंकि वह तो सीढ़ी को ही पकड़कर बैठ गया है | बस यह समझो, धार्मिक व्यक्ति नदी है और 'आध्यात्मिक व्यक्ति' नदी का वह पानी जो 'सागर' में समा गया है |"
('आत्मेश्वर', बारहवें अनुष्ठान के संदेश, पेज 32)
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