सद्गुरु का मिलना

"सद्गुरु का मिलना, उससे आत्मसाक्षात्कार पाना, बाद में अंतर्मुखी होना, अपने-आपको गुरु बनाना और अपने ही भीतर परमात्मा को पाना, यह क्रमबद्ध प्रगति की दशाएँ हैं | लेकिन यह एक ही जन्म में हो यह संभव नहीं है | इसलिए, कई साधक आत्मसाक्षात्कार पाकर भी भटकते रहते हैं | मुझे उसका कोई आश्चर्य नहीं होता है | क्योंकि एक ही जन्म में सब कुछ हो जाए ऐसा नहीं होता है |"

('आत्मेश्वर', बारहवें अनुष्ठान के संदेश, पेज 73)

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