माध्यम

यही कारण है कि जो भी माध्यम इस धरती पर आए हैं , उनको जीवनकाल में बहुत कम ही  लोगों ने जाना , कम ही लोगों ने पहचान । लेकिन उन्होंने शरीर को छोड़ने के बाद वे कया थे , वह लोगों के समझ में आया। होता क्या है कि वह माध्यम एक शरीरधारी होता है और शरीर की सीमाओं में रहकर की कार्य करते रहता है। और वही शरीर के कारण सभी लोग उसे जान नहीं पाते हैं। पाईप के ऊपर से पानी आते रहता है और नीचे से पानी निकलते रहता है। पाईप तो अपने स्थान पर खड़ा रहता है। अब अगर कोई-कोई पाईप को पानी समझकर पाईप को बाहरी तरफ से पकड़ ले तो पाईप क्या करे , प्यास पाईप नहीं बुझाता , पानी बुझाता है। लेकिन कोई समझते हैं कि पाईप ही प्यास बुझाता है और वे पाईप को पकड़ ही रखें तो कभी भी प्यास नहीं बुझेगी। क्योंकि पकड़ा ही गलत स्थान पर है। और तूने गलत स्थान पर पकड़ा है यह पाईप नहीं बता सकता है , क्योंकि पाईप तो बताने के परे है। और जब वह पाईप रूपी माध्यम समाधिस्थ हो जाता है , तो पाईप का रूप दिखाई नहीं देता , फिर दिखाई देता है - एक झरना , एक जलप्रवाह , एक जलधारा जिसका केवल पानी और पानी ही दिखता है कोई पाईप नहीं होता है।

भाग - ६ - २५५

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी