आपका माल तो अच्छा है, श्रेष्ठ है लेकिन आपका पॅकिंग खराब है।
मठाधीशजी ने कहा , हमने सबने मिलकर कल रात को भी आपके ऊपर चर्चा की थी। शिविर पर भी चर्चा की थी , अनुभूति पर भी चर्चा की थी। सभी लोग आपको तो बोलने में संकोच करते हैं लेकिन हम सभी एक निर्णय पर पहुँचे हैं कि आपका माल तो अच्छा है, श्रेष्ठ है लेकिन आपका पॅकिंग खराब है। मुझे कुछ भी समझा नहीं कि वे क्या कह रहे हैं और क्यों कह रहे हैं। मैंने बात स्पष्ट समझने के लिए कहा, आप क्या कहना चाह रहे हैं, में कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ। उन्होंने कहा, आपके विचार अच्छे हैं , आपकी साधना भी अच्छी हुई है। ध्यान में कुछ साधक अटक गए थे , तो आपने बड़ी ही आसानी से उन्हें बाहर निकाला , उनके ब्लॉक ( रुकावट )को दूर किया और इससे हमने यह जान की कुण्डलिनी योग के ऊपर अच्छा अभ्यास है और प्रभुत्व है। आप चक्रों के भी अच्छे ज्ञाता हैं , चक्रों के विषय में भी आपका गहरा अध्ययन है। हिमालय के आपके गुरुओं ने आभामण्डल का भी आपका अच्छा अध्ययन करवाया है और यह सब ज्ञान एक मनुष्य तो तभी हो सकता है , जब वह एक अच्छी पवित्र और शुद्ध आत्मा हो। आप एक पवित्र आत्मा हैं और उस आत्मा का प्रभाव तो हमें आपके सान्निध्य में महसूस होता है। इतने कठीन कुण्डलिनी योग के विषय को आपके द्धारा कितनी सरलता और नम्रता के साथ प्रस्तुत किया गया , वह सब हमने पिछले आठ दिनों में देखा। लेकिन पॅकिंग से हमारा आशय आपके पहराव से है , आप एक लुंगी और कुर्ता पहनकर आते हो और अपना कार्य देते हो , यह पहराव आपके कार्यक्रम के अनुरूप नहीं है।
मान लो , संस्कृत भाषा में एक समाचार वाचक अगर टी. वी . पर आएगा तो पहराव अगर सूट-बूट और टाई लगाकर होगा तो क्या वह अनुरूप होगा ? नहीं ना! ठीक वैसा ही है। आपका पहराव भी आपके कार्यक्रम के अनुरूप नहीं है।
भाग - ६ -३१७-३१८
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