नीम - प्रेरक प्रसंग

एक समय की बात है  : एक  हरा - भरा गाँव था  | वहाँ कई तरह के वृक्ष थे | बरगद , पीपल , नीम, जामुन , आम , गुलमहोर जैसे वृक्षों से ग्रामपरिसर की हरितकांति को चार चाँद लग गए थे |
         गाँव लोग बरगद तथा पीपल के वृक्ष की पूजा करते थे | ग्रीष्मऋतु  में बच्चे आम तथा जामुन का आनंद लेते | इसी ऋतु  में अमलतास अपने सारे पर्ण गिराकर अंगूर के गुच्छों जैसे पीले पुष्पों  से लग जाता  था | लाल - केसरी पुष्पों से पुष्पित गुलमोहर गाँव की शोभा को और मनोहारी बना देता था  |
                   सभी वृक्षों  को देखकर नीम अक्सर ऐसा लगता - ग्रामवासी  सभी वृक्षों को पसंद करते हैं  , किन्तु  मैं कजला हूं इसलिए  मुझे कोई पसंद नहीं  करता | उसने ईश्वर  से प्रार्थना  की , " हे परमेश्वर  ! कृपया मेरे पते मीठा कर दो "  | ईश्वर  ने  नीम के पते मीठा कर दिए | दूसरे दिन पक्षी  तथा चींटियो ने नीम के सभी पते खा लिए | नीम फिर दु:खी हो गया | उसने फिर प्राथँना की , " भगवान  ! कृपया मेरे  पते सोने के कर दो ताकि पक्षी  - चूडियाँ मुझे न खा सके "| ईश्वर  ने यह प्रार्थना  सपन ली |
               अगली सुबह ग्रामवासीयों ने नीम के सोने के पते देखे तो सभी पते तोड कर ले गए | अब नीम अपनी भूल समझ में आ गई | उसने प्राथँना की  ," हे करुणानिधि ! मैं मूढ - अग्यानी हूँ | मेरे लिए  क्या योग्य है,  क्या अयोग्य   , मैं नहीं जानता | मेरे लिए  जो योग्य हो,  वह कीजिए  " | अगली सुबह नीम फिर से करने पते से पल्लवित हो गया |
       हम भी हमारे जीवन  में  नीम के वृक्ष  के जैसी भूलें करते हैं | हमें भी नीम की अंतिम प्रार्थना जैसी ही प्रार्थना करनी चाहिए  |
                      
             🦋
🌸आपकी गुरूमाँ🌸
        प्रेरक प्रसंग

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