ध्यान करो
मैं आपको जो बोल रहा हूँ न , ध्यान करो , ध्यान करो , ध्यान करो ....क्यों बोल रहा हूँ? इसलिए बोल रहा हूँ कि अगर ध्यान करोगे तो आपके पूर्वजों के सात पीढियों तक , मेरे शब्दों को समझ लो थोड़ा पहले; आप अगर ध्यान करोगे न , आपके सात पीढियों के पहले तक जितने अच्छे गुण आपके पूर्वजों के होगे वो सब गुण आप के अंदर विकसित होंगे। आपके अंदर सारे अच्छे गुण विकसित होंगे। और अगली सात पीढियों तक आपके गुण आप अगली पीढियों को दोगे। यानी, आप एक पूल का काम करोगे।
जो पहले के पूर्वज हैं तुम्हारे उनके अच्छे गुण तुम्हारे अंदर धीरे-धीरे , धीरे-धीरे विकसित होंगे। क्योंकि तुम्हारे अंदर हैं वो। लेकिन सुप्त अवस्था में हैं। उसको जागृत नहीं कर रहे हैं। तुम उसको उसका वातावरण नहीं दे रहे हो। वातावरण दोगे , बराबर (गुण विकसित) होंगे। और उसके बाद में , अगली सात पीढियों तक , अगली तुम्हारी सात पुश्तों में एक अच्छी स्थिति प्राप्त होगी। एक आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त होगी। एक आध्यात्मिक प्रोग्रेस होगा। तो तुम देखो न , तुम्हारी नस्ल सुधार रहे हो। अगर ध्यान कर रहे हो न , तुम तुम्हारे ऊपर उपकार नहीं कर रहे हो। अगली पीढियों तक उपकार कर रहे हो। आगे की सात नस्ले सुधार जाएँगी अगर ध्यान करोगे तो।
इसलिए, तुम्हारे अंदर खूssब संभावनाएँ हैं, खूब ऊर्जा है , खूब स्त्रोत है....सब सोया हुआ है। उसको जागृत करने की आवश्यकता है, जगाने की आवश्यकता है। जग तभी सकता है जब आप अपेक्षा रहित ध्यान करो। और नियमित ध्यान करो , सामूहिकता में ध्यान करो।
*मधुचैतन्य जुलाई २०१८/२४*
*॥आत्म देवो भव॥*
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