महाराष्ट्र एक निष्क्रीय राज्य
आज जब विडीयो से शिबीर होते है । तब खुब तिव्रतासे जाणीव ( मालुम) होता हैं की
सभी राज्यों से मुझे प्रवचन के लिए
आग्रह से बुलावा आता है पर महाराष्ट्र से नहीं, पर दुसरे राज्यों में कहीं भी कार्यक्रम हो तो महाराष्ट्रीयन हाजिर रहते हैं,अगदी कलकत्ता क्यो न हो । ऐसा क्यों होता है जरा सोचो। कार्यक्रम देखना सरल (ईजी ) है । कार्यक्रम करने के लिए सामुहिकता जरूरी है मुझे लगता है आत्मीयता की ही कमी है । अभी भुज में अच्छी तरह से पोलीस का
कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।आज मुझे आखिर कार बोलना पड़ रहा हैं की पोलिस में ऐसा कार्यक्रम का आयोजन किजिए और मुझे बुलाईए और यह बताने की घड़ी ही क्यौ आ गयी यह भी समझिए
और सिर्फ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उपयुक्त भाव दशा और सामुहिकता होना भी जरूरी है । मैं महाराष्ट्र से निकल कर पुरी दुनिया में फैले गया पर यहां कुछ भी नहीं हु । कुछ सोचो उसपर गहन अध्ययन करो । ईश्वर आपको मेरे जीवन काल में कुछ सद्बुदधी दे यही प्रार्थना !!!
आप सभी को खुब खुब आशिर्वाद
आपका
बाबा स्वामी
5/8/18
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