सदैव सकारात्मक विचार करो

अगर मान लो , आप सदैव सकारात्मक विचार करो कि मेरी दुर्धटना ही कभी नहीं हो सकती है, तो आपका विचार आपके विश्वास में बदल जाएगा। और फिर उस विश्वास से एक आपके आसपास आभामण्डल बन जाएगा और आपकी कभी भी दुर्धटना नहीं होगी। अब मैं भी अगल-अलग वाहनों से प्रवास करता हूँ , कभी बस से भी  प्रवास करता हूँ  लेकिन मेरी कभी दुर्धटना नहीं हो सकती है , यह विश्वास मैंने निर्माण कर लिया है। तो इसी विश्वास का आभामण्डल मेरे आसपास निर्माण हो गया है। और इसी विश्वास के निर्मित आभामण्डल के कारण मेरी कभी कोई दुर्घटना नहीं हुई है। तो आप भी आपके विचारों को सकारात्मक रूप से बदलकर अपना आभामण्डल बदल सकते हैं। यह आभामण्डल आपके आसपास सदैव अच्छा ही वातावरण रखेगा। अब माँ और बाप को चिंता होती है कि उनके बच्चे सदैव अच्छी संगत में रहें और सदैव बच्चों पर नजर रखना संभव नहीं होता। लेकिन याद रखें , पाप और पुण्य का ज्ञान प्राप्त करके कुछ नहीं होता है। हमारे यहाँ हमारे नाना-नानी , दादा-दादी अपने बच्चों को पाप और पुण्य का खाली ज्ञान देते हैं कि कौन सी बातें पाप हैं और कौन सी बातें पूण्य हैं।लेकिन केवल यह ज्ञान उनको पाप करने से रोक नहीं पता है। तो मेरे इन बड़े लोगों से प्रार्थना है कि पाप और पुण्य की केवल बातें मत करो , इस पाप और पुण्य के ज्ञान के साथ ऐसी व्यवस्था भी दो कि आपके पोता या पोती से पाप धटित ही न हो। क्योंकि ऐसा करने से भविष्य में अगर बच्चे से पाप हो गया तो वह बकी जीवन इस आत्मग्लानि में ही निकलेगा - मैं पापी हूँ।

भाग - ६ -२२२/२२३

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