शरीर और आत्मा
हमें शरीर और आत्मा दोनों को समान महत्व देना चाहिए,दोनों को समान विकसित करना चाहिए क्योंकि एक स्वच्छ व पवित्र शरीर में एक स्वच्छ और पवित्र आत्मा वास करती है।हमें शरीर के विकारों से बचने के लिए अपने आपको आत्मा समझना चाहिए। हमें शरीर में रहना है, पर आत्मा बनकर रहना है। ऐसा बनकर अगर हम शरीर में रह सके, तो हम इस शरीर के माध्यम से अपने जीवन में अपनी आत्मा को मोक्ष - प्राप्ति तक अवश्य पहुँचा पाएंगे।
हिमालय का समर्पण योग -१
पृष्ठ ५८
Comments
Post a Comment