परमात्मामय शरीर का सानिध्य तो छोड़ो
परमात्मामय शरीर का सानिध्य तो छोड़ो , शरीर का दर्शन भी किसी को मिल जाए तो उस दर्शनमात्र से भी इतनी ऊर्जा पाती हैं की वह मोक्ष का मार्ग पता लगा सके । एक दर्शन से ही घटना घटित हो जाती हैं । ऐसे परमात्मामय शरीर के दर्शन केवल पुण्यात्माएं ही कर सकती हैं । उनके सामने केवल पुण्यात्माएं ही आ सकती हैं । इसीलिए गुरु को सदैव अनुभव करना चाहिए । तो अनुभव सदैव एक -सा ही रहेगा । अनुभव एक ही होगा क्योंकि सदैव परमात्मा के चैतन्य का प्रवाह ही बहते रहता हैं । ऐसे गुरुदेव का सानिध्य मुझे मेरे जीवन में प्राप्त हो गया था औऱ उन्होंने इस गूरूतत्व के प्रवाह को , तुम्हें सौंपने के लिए , मेरे भीतर प्रवाहित किया था । ...
🔰ही .का .स .योग .१
🙏जय बाबा स्वामी 🙏
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