तीन प्रकार की आत्माएँ जन्म लेती हैं ।
तीन प्रकार की आत्माएँ जन्म लेती हैं । अगर शारीरिक संबंध वासना के स्तर पर हुवा हैं , तो आसुरी स्तर की आत्मा जन्म लेगी । अगर शारीरिक संबंध मधुर औऱ आत्मिक स्तर पर हुआ हैं , तो मनुष्य की स्तर की आत्मा जन्म लेगी । औऱ इस आत्मा को अगर आसुरी आत्माओं की सामूहिकता मिलेगी , तो आसुरी आत्मा बनेगी औऱ अगर पून्यात्माओ की सामूहिकता मिली , तो पुण्यात्मा बनेगी । औऱ तीसरा स्तर होता हैं कि शारीरिक संबंध ध्यान की उच्च आध्यत्मिक स्थिती में हो जाए , तो ऐसी उच्च अवस्था में हुआ संबंध दैवी आत्माओं को जन्म देगा । सब कुछ माँ -बाप की उस समय की स्थिती पर ही निर्भर करता हैं । इसी कारण एक ही माँ -बाप की संतानें , घर के समान संस्कार होने पर भी दैवी आत्मा , मानवी आत्मा , आसुरी आत्मा होती हैं ।
🥀ही.का.स.योग
खंड १ पृष्ठ ४२६
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