गुरु एक माली के समान होता है |

" गुरु एक माली के समान होता है | एक छोटी- सी नर्सरी में वह एक छोटे-से बीज को लगाता है | बीज से पौधा बनने तक वह राह देखता है | बीज को खाद देता है, पानी देता है | जब बीज से पौधा बन जाता है, तब उस पौधे को किसी नए , अच्छे स्थान पर स्थानांतरित करता है , जहाँ पर पौधा वृक्ष बनकर विकसित हो सके , ऐसे स्थान पर वह सदैव अपने पौधे की प्रगति चाहता है | कभी माली अपने पौधों की कटाई भी करता है , तो भी इसी उदेश्य से कि पौधा अच्छे तरीके से विकसित हो सके | यानी माली की क्रियाएँ कुछ भी हों , माली का उदेश्य सदैव पौधे को विकसित करना है..... 

हि.स.यो-१ पृ-७६

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