स्त्री शक्ति नमः
" स्त्री एक शक्ति है "
"स्त्री " के प्रति आसक्ति चित्त को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाती है । "स्त्री " एक भोग -विलास की चीज नही हैं , "स्त्री शक्ति " ग्रहण करने का स्थान है । हम हमारे शरीर के शक्ति ग्रहण करने के स्थान को खराब कर हमारे ही पैरों पर कुर्हाडि मार रहे है । इसलिए मनुष्य को किसी स्त्री की आसक्ति से बचना चाहिए । "काम " से अधिक "कामवासना घातक है । काम की वासना शरीर के साथ मनुष्य के चित्त को भी नष्ट कर देती है । . . .
श्री ब्रह्मानंद स्वामीजी
ही .का .स .योग . . . .
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