स्त्रियाँ अच्छी मार्गदर्शिकाएँ
किसी भी परिस्थिति में मार्ग निकालना उसे आता है क्योंकि प्रत्येक परिस्थिति में परिस्थिति के अनुसार ताल-मेल बिठाना उसका मूल स्वभाव है। और उसमें एक लचीलापन,शरीर में और चित्त में भी होता है।इसलिए वह प्रत्येक परिस्थिति में ताल-मेल बिठाकर अपना अस्थितव बनाए रख सकती है। इसलिए स्त्रियाँ अच्छी मार्गदर्शिकाएँ बन सकती हैं। बस, स्त्रियाँ अपनी आपसी टाँग-खिंचाई ना करें। क्योंकि उन्होंने जानना है कि संपूर्ण स्त्री जाति को ही पुरुष दूसरा (कनिष्ट) स्थान देते हैं तो एक ही स्थानवाले होकर भी हम लड़ रहे हैं जबकि हम सभी उसी ' दूसरे ' स्थान के माने जा रहे हैं। स्त्रियों में इस बारे में जागरूकताआने की आवश्यकता है क्योंकि जब तक उन्हें यह पता नहीं लगेगा,वे आपस में झगड़ते ही रहेंगी।
हि.स.यो-४
पु-३६८
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