गुरु ही ब्रह्म है ।

॥गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु ॥
॥गुरु देवों महेश्वर :॥
॥गुरु साक्षात पारब्रह्म ॥
॥तस्मै श्री गूरूवे नम :॥

     गुरु  ही  ब्रह्म  है । एकमात्र  उनकी  ओर  लक्ष  रखने  से  ब्रह्म  की  प्राप्ति  होगी ।गुरुजी  पृथ्वी  पर  परमात्मा  का  प्रतिबिंब  है ।सेवा  उस  सगुण  गुरु  की  ही  हो  सके ।आत्मा  को  भी  गुरु  कहते  है ।

सन्त श्री अखा भगत

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