प्रार्थना
" गुरुदेव "मैं सूर्य के रूप में आपको वंदन कर रहा हूँ । अब मैने मेरा सारा अस्तित्व ही आपको समर्पित कर दिया है । अब मेरी निजी , ऐसी कोई प्रार्थना नही है । अब मेरा कोई अस्तित्व ही नही है , तो फिर निजी प्रार्थना कैसे हो सकती है ?मै तुम्हारी लीला समझने में असमर्थ हूँ । अब तुम जैसा चाहो , वैसा ही हो । जीवन की सभी घटनाएँ आपकी इच्छानुसार हो , बस यही प्रार्थना है ।
पूज्य स्वामीजी
ही .का .स .योग
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