विश्वशांन्ती
प्रत्येक मनुष्य के आसपास उसका अपना एक नीजी ओरा का आभामंडल का छोटा सा विश्व होता है। वह ओरा कैसा हो यह पुणेतह आपके अपने हाथ मे होता है।कोई भी मनुष्य चाहे तो कल्याणकारी. शांन्तीमय. सुरक्षीत. आभामंडल का विश्व बना सकता है। ऐसा आभामंडल का विश्व अगर विश्व प्रत्येक मनुष्य बनाये तो ही विश्व मे शांन्ती स्थापीत हो सकती है। अन्यथा विश्व मे स्थाई शांन्ती संभव प्रतीत नही होती । इस प्रकार से सभी मनुष्य अपने योगदान से एक ऐसे विश्व का नीमाेण करे जहॉ मानव धमे हो और सारे विश्व मे शांन्ती हो यही परमात्मा से प्राथेना है।
बाबा स्वामी
२२/१०/२०१७
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