मनुष्य अपने अहंकार को सम्पूर्ण समाप्त नहीं कर सकता |
मनुष्य अपने अहंकार को सम्पूर्ण समाप्त नहीं कर सकता | अहंकार मनुष्य में छोटे से रूप में रहता ही है और अनुकूल वातावरण मिलने पर बहार आ ही जाता हैव " मुझे बिलकुल अहंकार नहीं है " कहना भी एक प्रकार का अहंकार ही है | मनुष्य अपने अ स्तित्व को जानकर ही अहंकार पर नियंत्रण रख सकता है | और मनुष्य को सद्गुरु के सान्निध्य में ही अपने अस्तित्व का पता चलता है और फिर मनुष्य का अहंकार स्वयं ही धीरे धीरे काम होने लगता है |
हिम.स.यो.१/३६८
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