मेरा प्यारा साधक

मैं उस समर्पित  पत्थर की खोज कर रहा हुँ , जो भूतकाल का आवरण छोड़ सके , जिस पत्थर में मूर्ति बनने की बेसब्री न हो और जो पत्थर अहंकार से भरा न हो । क्या मुझे ऐसा कोई समर्पित पत्थर मिलेगा जिससे मैं मूर्ति का निर्माण कर सकु ? क्या एक ऐसा पत्थर मिलेगा जो मुझे पाकर ही धन्य हो जाए , मूर्ति बनने का विचार भी उसके मन में न हो । एक पवित्र चित्त वाला पत्थर मैं ढूँढ़ रहा हुँ । मुझे आज भी उसकी तलाश है । मेरी आँखें उसे देखने के लिए, मिलने के लिए तरस रही हैं । कहीं तुं तो मेरा वह प्रतिक्षित पत्थर नहीं हो ?

एक साधकरुपी आदर्श पत्थर की विशेषताएँ इस प्रकार से हैं :

*(१) जो सर्वस्व भूतकाल गुरुचरण पर समर्पित कर सके ।*

*(२) जो ध्यान में इसलिए आया है , उसे इससे आत्मिक आनंद मिलता है । बस , और कुछ इच्छा नहीं है ।*

*(३) जो प्रत्येक साधक में स्वामीजी के दर्शन करता हो , जो अधिक से अधिक साधको को प्रिय हो ।*

*(४) नियमित सामूहिकता में ध्यान करता हो ।*

*(५) जिसका चित्त सदैव गुरुचरण पर होता है । जिसका चित्त कभी किसी के दोषों पर नहीं जाता ।*

*(६) जिसका चित आसक्तिरहित , शुद्ध व पवित्र हो ।*

*(७) जो स्वामीजी की व्यवस्था का सम्मान करता है ।*

*(८) जो बेकार बातें कर अपनी उर्जा को नष्ट नहीं करता है ।*

*(९) जो किसी के चित्त को दूषित कर किसी के ध्यान-साधना में बाधा नहीं डालता है ।*

*(१०) जो सदैव गुरुकार्य में जुड़ा रहता है , प्रसाद बाँटते रहता है , चैतन्य का माध्यम बने रहता है ।*

ये सब मेरे प्यारे साधक की खूबियाँ हैं । इसका मेरे ह्रदय में स्थान है ।

*श्री शिवकृपानंद स्वामीजी*
स्त्रोत - "मेरा प्यारा साधक"
- २००६

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