सजीव ज्ञान पाना गुरुकृपा है

सजीव  ज्ञान  पाना  गुरुकृपा  है  और  यह  सजीव  ज्ञान  बाँटना  ही  सही  अर्थ  में  गुरुदक्षिणा  "है । और  ध्यान -साधना  भी  एक  प्रकार  की  कला  है  जो  अनायास  ही  प्राप्त  हो  जाती  है । परमात्मा  की  कृपा  कभी  भी  प्रयत्न  से  प्राप्त  नही  होती  है । बस , जब  उसकी  करुणा  हो  जाए  तो  ही  प्राप्त  हो  सकती  है । और  करुणा  का  पात्र  बनने  के  लिए  आत्मीय  योग्यता  आवश्यक  है

ही .स .योग .1/148

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