एकांत में रहकर अपने-आपका निरीक्षण करना चाहिए।
वह मृत आत्माओं के प्रभाव में किसी का खून भी कर सकता है। इसीलिए मनुष्य को चाहिए कि वह अपना गुस्सा नियंत्रण में रखें।सदैव थोड़ा एकांत में रहकर अपने-आपका निरीक्षण करना चाहिए।सदैव किसी एक व्यक्ति पर गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा कारने से अपने मन में उसके प्रति वैरभाव निर्मित हो जाता है।जीवन में हमारा कोई वैरी नहीं होना चाहिए क्योंकि यह वैरभाव आध्यात्मिक मार्ग पर चलने ही नहीं देगा।
इस बारे में मुझे स्त्रियाँ अच्छी लगती हैं। उन्हें गुस्सा आता है लेकिन प्रायःकिसी के प्रति वैरभाव नहीं होता है।इसका यह भी कारण होगा क्योंकि वह माँ बनती है और ममत्व रखना उसका मूल स्वभाव है। इसलिए ममत्व की भावना स्त्री का मूलभूत गुण होता है। आज विश्व में स्त्री को जो आदर है,वह उसके इसी गुण के कारण है। किसी भी स्त्री को अपना मूलभाव कभी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि यह भाव उसके चित्त को सदैव शुध्द व पवित्र रखेगा। इसलिए माँ का हृदय सदैव निर्मल और पवित्र होता है। माँ प्रत्येक मनुष्य की जड़ होती है। यह शायद इसलिए भी होगा क्योंकि उसे प्रथम जो सान्निधय मिलता है,वह माँ का ही होता है। और यह गर्भ में अनुभव किया गया भाव प्रत्येक मनुष्य में अंतर्मन में,वह पुरुष हो या स्त्री हो, जीवनभर रहता ही है।मैंने मेरे जीवन में ९०साल के पुरुषों को भी माँ के बारे में बात करते और माँ के वियोग में रोते हुए देख है। मनुष्य अपने पिता कोभूल सकता है पर माँ को नहीं!प्रत्येक मनुष्य का सबसे पुराना रिश्ता माँ के साथ का ही होता है।...
हि.स.यो-४
पु-३६३
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