आध्यात्मिक  क्षेत्र 

आध्यात्मिक  क्षेत्र  में  कर्ता  पुरुषस्वरुप  में  साधारणतः  होता  है  और  शक्ति  स्त्री  स्वरूप  मे  होती  है । क्योंकि  शक्ति  स्वयं  कार्य  नही  कर  सकती , उसे  माध्यम  चाहिए । वास्तव  में , आध्यात्मिक  साधना  भी  क्या  है ?कर्ता  से  अकर्ता  तक  की  यात्रा  है , कर्ता  से  शक्ति  तक  की  यात्रा  है ।  यह  यात्रा  पूर्ण  हो  जाने  पर  कर्ता  शक्ति  में  समाहित  हो  जाता  है  और  फ़िर  उसे  दूसरे  माध्यम  की  आवश्यकता  पड़ती  है  अपना  कार्य  आगे  बढ़ाने  के  लिए ।

ही .का .स .योग .
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