आत्मा का अस्तित्व

"  प्रत्येक मनुष्य में आत्मा का अस्तित्व होता है। आत्मा के अस्तित्व के बिना तो मनुष्य एक मृत शरीर ही है। लेकिन कितने लोग हैं जो सही अर्थ में, जितना जानना चाहिए, उतना अपनी आत्मा के बारे में जान पाते हैं? कितने लोग समझ पाते है,  " इस शरीर को तो मैने वस्र के समान इस जन्म में धारण किया है, मैं शरीर नहीं हूँ; यह शरीर अलग है  और आत्मा के रुप में मैं अलग हूँ।

मैं जो भौतिक जगत की सुख,-सुविधाएँ दे रहा हूँ,  ये मेरे शरीर को दे रहा हूँ। इससे आत्मा को कोई सुख नहीं मिल रहा है।  जो सुख वह शरीर अनुभव कर रहा है, वह आत्मा का सुख नहीं है। और शरीर के सुख से आत्मा  सुखी नहीं होती है। शरीर का सुख अलग है और आत्मा का सुख अलग है।"

मैं प्रथम अपनी आत्मा के अस्तित्व को ही स्विकार करता हूँ तो मुझे एक आत्मसुख मिलता है। कई लोगोंको तो यह ग्यान जीवनभर नहीं होता और वे शरीर को ही प्रधानता देते रहते हैं। और आत्मा का अस्तित्व तब समझ में आता है, जब आत्मा शरीर को छोड देतीं हैं।"

हि.स.योग.४, पेज. ४०५.

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