सुक्ष्म से जुडो
कई बार साधको को माध्यम कहते रहता है। की मेरे दशेन भी तुम्हे तुम्हारे पुवे जन्म के पुण्यकमे से मील रहे है। जीस दिन पुण्यकमे समाप्त होगे तो दशेन भी नही हो सकेगे। अरे बाबा साकार तो नीराकार का दरवाजा है। साकार से नीराकार तक पहुचो स्थुल से सुक्ष्म तक पहुचे तो बुदधु साधक वह भी पुछते कैसे तो आज अगर आप का भी यह प्रश्न है। तो समझो माध्यम के फोटो से आत्म साक्षात्कार हो रहा है। यह आज गुरूशक्तीयो की करूणा है।तो जीस माध्यम के फोटो से आत्माका साक्षात्कार होता है। उसके सामने भी आप अपने आप को पहचान नही पाते हो आप कौन है? आप कहॉ से आये है? आपको कहॉ जाना है? आप को केवल दशेन से ही यह प्रश्न आना चाहीये।आते है क्या नही क्यो की उस क्षण भी आप का चित्त नाशवान शरीर की समस्याओ के उपर ही रहता है। वास्तव मे माध्यम का दशेन कीतना मीला उसका कोई महत्व नही है।” आपने अपने आप तक पहुचने के लिये अपने आप को जानने के लीये कीतना उपयोग कीया वह महत्वपुणे है” माध्यम का दशेन का सदउपयोग आप करे और अपने आप को पहचाने बस परमात्मा से यही प्राथेना है।आप सभी को खुब खुब आशिवाद आपका अपना