45 दिन अनुष्ठान में खंड(गैप)
पत्रकार (प्रश्न 17) : शिविर के बाद 45 दिन ध्यान करते समय अगर कुछ रुकावट आई, कुछ निजी कारणवश रुकावट आई, गैप (विराम) हुआ तो इसमें क्या बाधा आ सकती है ?
स्वामीजी : बाधा कुछ नहीं है | देखो, इसमें कैसा रहता है - जैसे एक नया पौधा हमने लगाया, उसे अगर रोज पानी दिया तो उसके उगने के ज्यादा चांसेस (संभावनाएं) है | कभी दिया, कभी नहीं दिया, तब उगने के चांसेस कम है | आठ दिन के बाद दिया तो उगने के चांसेस और भी कम है | कहने का मतलब, जितना रेग्युलर (नियमित) करोगे 45 दिन, उतना रिजल्ट (परिणाम) अच्छा आएगा | और एकाध गैप हुआ तो गिल्टी फील (आत्मग्लानि) मत करो कि हां ! हां ! आज मेरा गैप हुआ | ऐसा विचार मत करो | गैप हुआ तो भी स्वामी जी की इच्छा | अाप इच्छा करो कि मुझे 45 दिन करना है | कुछ नहीं, "एक दिन गैप हुआ तो हुआ, उनकी इच्छा !" ऐसा कहकर....,गिल्टी फिलिंग मत करो क्योंकि आत्मग्लानि हुई तो उसकी रिकवरी (ठीक) होने में और दो-तीन दिन लगेंगे | प्रयत्न करो कि 45 दिन हो | लेकिन 45 दिन के बाद अपने-आप उसमें चेंज आता है, बदलाव आता है |
गोवा महाशिबीर
मधुचैतन्य : अप्रैल, मे, जून - 2008
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