आत्मज्ञान को प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य के जीवन का लक्ष्य
*॥जय बाबा स्वामी॥*
"आत्मज्ञान को प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य के जीवन का लक्ष्य होता है। मनुष्य को कम से कम यह बताओ कि उसके जीवन का लक्ष्य क्या है! वह उसे पाए या न पाए , यह उसका प्रश्न है। हमने उसे बताया नहीं , ऐसा तो न होगा। हमें केवल हमारा कार्य करना चाहिए, आत्मज्ञान पाने का लक्ष्य मनुष्य प्राप्त करता है या नहीं यह हमारा क्षेत्र नहीं है। सामान्य मनुष्य बेचारा मूर्तियों और मंदिरों तक ही सिमटकर रह गया है और ज्ञान तो केवल पुस्तकों में और ग्रंथों में सिमटकर रह गया है।"
"समाज में आध्यात्मिक क्रांति की आवश्यकता है। परमात्मा का अनुभव करने के लिए , परमात्मा की प्राप्ति के लिए मूर्ति , मंदिर , धर्मग्रंथ , इन सबकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह तो तुम्हारे भीतर ही है। उसके लिए भीतर जाने की आवश्यकता है। और यह सब तो भीतर जाने के माध्यम है। मनुष्य तो माध्यम को ही पकड़ कर बैठ गया है।"
"हो सकता है , लोग इस बात पर विश्वास न करें। हो सकता है , कम लोग इसे ग्रहण करें लेकिन इसकी शुरुआत किसी-न-किसी को तो करनी होगी। कभी न कभी तो करनी होगी। और अब समय आ गया है , यह ज्ञान समाज तक पहुँचे।"
--- हिमालय में मुनिश्रीजी ने पूज्य स्वामीजी को मार्गदर्शन देते हुए कहा।
*(हिमालय का समर्पण योग ४/२९२)*
*॥आत्मदेवो भव:॥*
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