सामूहिकता-हाइवे....कब तक----3

प्रश्न 29 : तो क्या सामूहिकता/हाइवे को छोड देना है ?

स्वामीजी : छोड़ देना नहीं...जैसे फल है कि नहीं ? पूर्ण पक जाने के बाद वो झाड़ को छोड़ ही देता है | उसी के... ऑटोमेटिकली ये सब छूट जाता है | और उसके बाद में तुम तुम्हारा खुद का आईडेंटिटी (पहचान) निर्माण कर लेते हो | समर्पण का उद्देश्य क्या है, मालूम है ? तुम तुम्हारे गुरु बन जाओ | देखो, ये गुरू भी एक निमित्य (निमीत्त) है | माने गुरु के बिना आत्मसाक्षात्कार नहीं मिल सकता लेकिन गुरु...क्या बोलते हैं न, गुरु आत्मसाक्षात्कार नहीं देता | लेकिन गुरु के बिना आत्मसाक्षात्कार नहीं मिल सकता | जैसे मैंने बताया ना - एक दीपक से दूसरा दीपक जलता है लेकिन वो दीपक उसको जलाने जाता है क्या ? नहीं ! वो तो अपने जगह जलते रहता है | सिर्फ बुझा हुआ दीपक आके उसको स्पर्श करता है...वो जल उठता है | तो उसके अंदर, वो जलते हुए दीपक ने उसको जलाई क्या ? नहीं जलाया |  सिर्फ उसके सानिध्य में वो जल उठा | उसी प्रकार से, गुरू अपने ही मस्ती में रहता है | वो अपनी ही स्थिति में रहता है | सिर्फ हम उसके सानिध्य में है... हम उसके पास जाकरके, उसकी आभा को अनुभव करते हैं , उसकी प्रभा को ग्रहण करते हैं | बस, बाकी कुछ नहीं | वो लेकरके अपने को अपना रास्ता आगे चलने का है ना ! और दूसरा क्या रहता है,  मैंने बताया कि जैसे इलेक्ट्रिशन (विद्युद्वेता) है | उसको तो बहुत सारे घरों  मे कनेक्शन करने का है | तो गुरु कोई अपना एक अकेले का है क्या ? नहीं ! उसको लाखों लोगों तक पहुँचने का है | तो उसको हमको  फ्री (आजाद) छोड़ना चाहिए | उससे उतना ही इलेक्ट्रिक (बिजली/ विद्युत) का कनेक्शन का करवा लो, बाद में अपनी लाईट जलाते बैठो | वो  दूसरे बंगलों (घर) में लाईट जलाने जाएगा | ऐसा |

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, भावनगर |
मधुचैतन्य : मार्च,अप्रैल-2016

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