आत्मचिंतन

    आत्मसाक्षात्कार  एक  " संस्कार " है । सद्गुरु  को  अगर  हम  संपूर्ण  "समर्पित " है , तो  सद्गुरु  के  गुण  भी  हमारे  में  उतरना  चाहिए ।

💎 सद्गुरु  का  चित्त  "शुद्ध "है ,
तो  हमारा  क्यों  नहीं ?

💎सद्गुरु  के  मन  में  "ईर्ष्या " भाव  नहीं  है , तो  हमारे  मन  में  क्यों  है ?

💎सद्गुरु  के  मन  में  किसी  के  भी  प्रति  "दुर्भावना " नहीं  है , तो  हमारे  मन  में  क्यों  है ?

💎 सद्गुरु  "निष्पाप " है , तो  हम  क्यों  नहीं ?

💎 सद्गुरु  को  "लोभ"  नहीं  है , तो  हमारे  में  क्यों  है ?

    इन्ही  सब  बातों  के  लिए  "आत्मचिंतन "करना  ही  गहन  ध्यान  अनुष्ठान  का  मुख्य  "उद्देश " है ।

पूज्य बाबा स्वामीजी
गहन ध्यान अनुष्ठान संदेश
09/03/2013

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