शरीर
जब आत्मा शरीर की प्रतीक्षा करती है, तो शरीर व्यर्थ या महत्वहीन कैसे हो सकता है ? आत्मा ने जिस शरीर को बड़ी प्रतीक्षा के बाद पाया है, उस शरीर की देखभाल करनी ही चाहिए। यह हमारा कर्तव्य नहीं आत्मा की आवश्यकता है ।
भाग १
जब आत्मा शरीर की प्रतीक्षा करती है, तो शरीर व्यर्थ या महत्वहीन कैसे हो सकता है ? आत्मा ने जिस शरीर को बड़ी प्रतीक्षा के बाद पाया है, उस शरीर की देखभाल करनी ही चाहिए। यह हमारा कर्तव्य नहीं आत्मा की आवश्यकता है ।
भाग १
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