सामूहिकता-हाइवे.....कब तक----1
प्रश्न 27 : आप समझाते हैं कि हमेशा हाइवे पे नहीं रहा जा सकता | एक पतली गली से जाना पडता है | तो ये बात सरल तरीके से समझा सकते हैं ?
स्वामीजी : नहीं, एक्च्युअली क्या है, मालूम है क्या कि प्रत्येक को ...इसलिए मैं बता रहा हूँ न...अपने आत्मा को गुरू बनाओ | उससे जितने (जितनी) निकटता करोगे तो बाद में, आखिर में वो ही आपके कार्य आएगा न, साथ मे आएगा | तो झडप से प्रोग्रेस करने के लिए, जल्दी प्रोग्रेस करने के लिए हम सामूहिकता का सहारा लेते है | लेकिन सामूहिकता हमारे साथ में सदैव रहेगी क्या ? नहीं रहेगी | तो बाद में हमको ही हमारे जीवन के अंतिम पड़ाव में... सब लोग, ये सब पूरा सेंटर अपने साथ रहेगा क्या ? नहीं रहेगा | अपुन अपने रहेंगे | तब उस समय फिर आपके साथ कौन रहेगा ? आपकी आत्मा रहेगी | तो वो आत्मा के साथ अपना रिलेशन्स (रिश्ता) अच्छा करो ना ! उसकी स्थिती अच्छी बनाओ, उसको मजबूत बनाओ | तो उसका साथ आपके जीवनभर, अंतिम साँस तक रहेगा |
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, भावनगर
मधुचैतन्य : मार्च,अप्रैल-2016
Comments
Post a Comment