समर्पण नाव

आप क्या करते हो उसपे सदैव गुरुशक्तियोंकि नजर होती है। बस इस बात का एहसास आपको होना चाहिये। कई बार गुरुशक्तियां आपको अनुभव भी करा चुकी है। अब उस अनुभव से कुछ सिखो। चित्त स्वयं गंदा या कमजोर नही होता, हम उसे दिनभर हजारो लोगोमें डालकर गंदा और कमजोर कर देते है। आप आंखोसे भी किसी कि फोटो देखते हो तो उसका अच्छा या बुरा प्रभाव आप पर पडता है। तो आप तो जीवन में आये बुरे बुरे व्यक्तियोंकी  फोटो चित्त से कई बार देखते हो और चित्त को गंदा करते हो। अब बहोत हो चुका। जीवन में बुरी घटना एक बार घटी होगी पर आप उसे याद करके बार बार घटित करते हो।अब इन सबसे बाहर आ जाओ। यह तुम्हारे लीये कठीण होगा, यह तुम कहोगे, यह तो मै मानकर हि चल रहा हुँ।इसलिये कह रहा हुँ, मेरे चैतन्य को अपने पास अनुभव करो, तो इन सब बातोसे आपको मुक्ती मिल जायेगी। या तो तैर कर नदी पार करो या समर्पण नाव से पार करो। पर नाव पर बैठना है तो नाव के नाविक पर सम्पूर्ण विश्वास और श्रध्दा रखना होगी। अब आप का आप जानो, मुझे बताना था मैंने बता दिया। आप सभी उस पार जीवन में पहुंचे इसी शुध्द ईच्छा के साथ,

आपका
बाबा स्वामी

मधुचैतन्य, जानेवारी, 2012

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी