सदगुरु के दर्शन का सही उपयोग

सदगुरु के दर्शन का सही उपयोग यह है कि उसके सानिध्य में जितना अंतर्मुखी हो सकते हो, होना चाहिए और अपनी आत्मा तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। और अब आप अंतर्मुखी होकर 'आत्मा' तक पहुंच जाओगे तब आपको 'सद्गुरु' में छिपा 'परमात्मा' का अनुभव होगा क्योंकि सद्गुरु शरीरधारी है पर शरीर भाव से विहीन है। उसमें से केवल और केवल ठंडे - ठंडे चैतन्य के रूप में 'विश्वचैतन्य' रूपी परमात्मा ही बहते रहता है। बस, उसके लिए आपको अंतर्मुखी होना होगा।

श्री शिवकृपानंद स्वामी,
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सद्गुरु के दर्शन

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