अनुभूति और मोक्ष
*अनुभूति और मोक्ष की स्थिति के बीच मनुष्य के कर्मों की दीवार खड़ी होती है। सदगुरु की प्रेरणा से आत्मा ने अनुभूति तक की। लेकिन मोक्ष पाने के पहले आत्मा को अपने शरीर के द्वारा किए गए कर्मों को भोगना ही पड़ता है। और इन्हीं कर्मों के कारण अनुभूति प्राप्त होने के बाद भी अनुभूति पा ली , इसका एहसास ही नहीं हिता। क्योंकि मोक्ष तो वह शुन्य की अवस्था कस जीवन है जिसमें कोई कर्म जुड़ता ही नही है ;*
*हीं .का .स .योग .*
*खंड ६-- पृष्ठ--२५*
Comments
Post a Comment