सद्गुरु सूर्य के समान
🌹जय बाबा स्वामी 🌹
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सद्गुरु भी सूर्य के समान है उसके जीवनकाल मे होनेवाले प्रकाश मे, होनेवाले मार्गदर्शन मे मोक्षरुपी उच्च शिखर तक पहुँचो।
यह ज्यादा आसान है, ज्यादा सरल है जो संभव हो सकता है। क्योंकि सूर्यास्त के बाद टटोलना होगा, बतानेवाला प्रकाश, बतानेवाला सूर्य अस्त हो चुका होगा।
इसलिए सद्गुरु के जीवनकाल में, उसके प्राप्त होनेवले प्रकाश में एक एक दिन नही, एक एक क्षण महत्वपूर्ण है।
और उस क्षण से हम हमारे जीवन में क्या बदलाव लाते है, उस एक एक क्षण से हम क्या ग्रहण कर पाते है और क्या ग्रहण करते है, इसी के ऊपर उस सद्गुरु के सान्निध्य का महत्व हैं ।
जीवनकाल में किसको कितना सान्निध्य मिला, उससे महत्वपूर्ण हैं - उसने जीवनकाल में कितना ग्रहण किया।
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मधुचैतन्य जनवरी 2010/14
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