त्रिकाल ज्ञानी

ये जो हम पुस्तकों में पढ़ते हैं के नहीं , त्रिकाल ज्ञानी , सिध्दि,वो सिध्द योगी थे , त्रिकाल ज्ञानी थे। हम सोचते थे कोई सिध्दि है। लेकिन मेरे को अनुभव कुछ अलग ही आया। त्रिकाल ज्ञानी सिध्दि नहीं है , चित्त की एक दशा है। ध्यान करते-करते , मेडिटेशन्स करते-करते चित्त के उस दशा में आप पहुँच जाओगे कि आपका चित्त भूतकाल में , भविष्यकाल में , वर्तमान काल में , जहाँ आप चाहो एक क्षण में ले जा सकते हो , जा सकता है। उस दशा को त्रिकाल ज्ञानी दशा कहते हैं। चित्त की दशा है। सिध्दि नहीं है।

समर्पण ग्रन्थ
(समर्पण "शिर्डी" मोक्ष का द्वार है।) पृष्ठ:१००

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