प्रकृति का नियम

प्रकृति का नियम है
आप वह जीवन ही जीते हैं जो जीवन जीने की आप इच्छा रखते हैं | आप जो जीवन जीने की इच्छा रखते हैं तो प्रकृति में फैली विश्वचेतना वह जीवन का निर्माण करने में लग जाती है |
हाँ समय लगता है, काफी साल लगते हैं | इसलिए कहते हैं - सदैव अच्छा सकारात्मक ही सोचो | क्योंकि आपका जीवन बचपन में एक गीले,कच्चे हंडे की तरह होता है जिसकी मिटटी गीली और नरम होती है | हम हमारे विचारों से ,हमारे चित्त से उसे एक मार्ग दिखाते  हैं ,दिशा देते हैं और बाद में जीवन धीरे धीरे वैसा ही निर्मित हो जाता है जैसा की हम सोचते हैं |-
यह वैश्विक चेतना का नियम है - वह कार्यरत सदैव रहती है ,बस उसकी दिशा और दशा निश्चित नहीं होती है | उसे हमारा चित्त दिशा प्रदान करता है | और चित्त जो दिशा प्रदान करता है ,वह उस दिशा में बहना प्रारम्भ कर देती है |
गुरु का आजका संदेश
     
       प्रगतिशील सामूहिकता
    किसकी एवं किस प्रकार की
    और भितर... और भितर... और ...

हि.स.यो.५/१९५

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