गुरु
गुरु को जान करके करना चाहिए । जानना यानी क्या ? बुध्दि से तो जाना नहीं जा सकता । गुरु को अगर जानना है तो एक ही मार्ग है - अनुभूति , अनुभूति , अनुभूति । जब तक आपको अनुभूति नहीं आती , जब तक कोई एक्सपिरियंस नहीं होता , तब तक गुरु को मत मानिए ।
*।। अमृत वर्षा ।।*
*सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी*
*( गुरुपूर्णिमा समर्पण ध्यानयोग महाशिविर 2016 )*
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