आत्मा की अनुभूति ही "मोक्ष " का द्वार
आत्मा की अनुभूति ही "मोक्ष " का द्वार हैं । लेकिन अपने शरीर के साथ द्वार से प्रवेश नही हो सकता हैं । शरीर पर नियंत्रण हैं "मैं" के अहंकार का । वह शरीर को पकड़ता हैं औऱ शरीर आत्मा को । इसीलिए एक ही मार्ग हैं - अपनी आत्मा को सशक्त करो , तभी शरीर के अहंकार पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं ।
✍--परमपूज्य बाबा स्वामीजी
संदर्भ : श्री सद्गुरु वाणी
संदर्भ : श्री सद्गुरु वाणी
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