अपने आपको संतुलित करने के उपाय
प्रश्न 14 : स्वामीजी, जब हम जीवन के बुरे समय से गुजर रहे हैं ऐसा लगता है और ध्यान केंद्र पर जाने के लिए भी असमर्थ होंगे, तब हमें अपने आपको शांत कैसे रखना चाहिए ?
स्वामीजी : पहले ये विचार करने का विषय है की एैसी स्थिति ही जीवन में क्यों आयी ? 'दुख में सुमिरण सब करें, सुख में करे न कोय | और अगर सुख में सुमिरण करे तो दुख काहेको होय |' इन दो पंक्तियों में इसका उत्तर है, इसका आंसर है | मैडिटेशन्स अगर आप नियमित करते हैं ये परिस्थिति ही आपके जीवन में कभी खड़ी नहीं हो सकती | दूसरा, अगर नियमित ध्यान करते है ऐसी परिस्थितियां ही नहीं निर्माण होंगी | परिस्थितियां नहीं निर्माण होगी इसका उत्तर क्या है ? नियमित ध्यान करने की आवश्यकता है, नियमित मेडिटेशन्स करने की आवश्यकता है | ऐसी परिस्थितियों में दो-तीन और उपाय बताके रखता हूं | होता क्या है, आदमी जब ऐसे परिस्थिति में रहता है न, उसको कुछ भी नहीं सूझता और कुछ भी करने सरीकी उसकी स्थिति ही नहीं रहती | कई बार मैंने देखा है, साधकों को अगर उनके भोग भोगने के हैं, तो उनको कोई उपाय बता रहा हूं न, तो वो उपाय उनकी समझ में नहीं आएगा | फिर पॉंच साल के बाद में वो उपाय समझ में आएगा | अरे, पॉंच साल पहले ये बताया था | फिर मैं उनको बताते रहता हूं ये तो पहले बता चुका हूं | लेकिन तब तेरेको समझ में नहीं आया | तो दूसरा एक तरीका है, अाप पुस्तकें पढ़ो न ! हिमालय का समर्पण योग पढ़ो, अध्यात्मिक सत्य पढ़ो, पुस्तके पढ़ो | तो पुस्तकें पढ़ने से भी आप एनर्जी के साथ जुडे रहिए | कैसेट्स सुन सकते हो | कैसेट के लिए तो कोई सेंटर पे जाने का है नहीं | आप आपके घर पे बैठके प्रवचन के कैसेट सुनो न ! किसी भी तरीके से आप चैतन्य से जुड़े रहो | तो चैतन्य आपको बैलेंस करता है | चैतन्य आपको संतुलित करता है | इसमें से जो भी उपाय आपको अच्छा लगे, कर सकते हो | जो प्रत्येक का अलग अलग है | किसी को कुछ सूट होता है, किसी को कुछ सूट होता है | आप अपने ऊपर प्रयोग करके देखो कि आपको क्या सूट करता है |
मधुचैतन्य - जनवरी, फरवरी, मार्च 2011
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