अहंकार विलीन होने के बाद मनुष्य

अहंकार विलीन होने के बाद मनुष्य कार्य करता नहीं, मनुष्य के हाथों से कार्य हो जाते हैं | मनुष्य को सद्गुरु का सान्निध्य कितना मिला ,उसका कोई मायने नहीं है | मायना है,उसने कितना समझा ,कितना माना ,कितना ग्रहण किया ,कितना अनुभव किया | क्युंकि सद्गुरु तो अनुभव करने की चीज़ है |

हि.स.यो.१/३६६ 

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