जंगल और वन
एक दिन एक वृक्ष के पास बैठकर गुरुदेव
जंगल और वन का अंतर समझा रहें थे।
उनका कहना था,"जंगल प्रकृतिप्रदत्त होते
हैं।वह प्रकृति की स्वयं की रचना होती है।
इसलिए प्रकृति अच्छे, रसदार फल देने
वाले वृक्ष का भी निर्माण करती है और
उसी वृक्ष के पास एक काँटेवाले वृक्ष का
भी निर्माण करती है।यह भेदभाव नहीं
करती, दोनों प्रकार के वृक्षों को वह
विकसित करती है।प्रकृति में समानता
हैं।वह सबसे एक जैसा व्यवहार करती हैं।
उनका कहना था,"जंगल प्रकृतिप्रदत्त होते
हैं।वह प्रकृति की स्वयं की रचना होती है।
इसलिए प्रकृति अच्छे, रसदार फल देने
वाले वृक्ष का भी निर्माण करती है और
उसी वृक्ष के पास एक काँटेवाले वृक्ष का
भी निर्माण करती है।यह भेदभाव नहीं
करती, दोनों प्रकार के वृक्षों को वह
विकसित करती है।प्रकृति में समानता
हैं।वह सबसे एक जैसा व्यवहार करती हैं।
हि. का. स. यो.(1)पेज 37007
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