चित्त से गुरु की संगत मे
सदैव अछी संगत में तो नही रहा जा सकता ।इसलिए चित्त से गुरु की संगत मे रहे और इसका सदैव एहसास रखे की सदगुरु मेरे ही पास बैठे है ,मेरे ही पास खड़े है , मुझे ही देख रहे है । वास्तव में ऐसा ही है । मै तुम्हारे एकदम करीब रहता हूँ , पर तुम मेरे करीब नही होते हो l
आप का
बाबा स्वामी
बाबा स्वामी
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