गुरुमंत्र
*॥जय बाबा स्वामी॥*
पुराने मंत्र खूब पवित्र हैं , खूब शक्तिशाली हैं , खूब प्रभावशाली हैं लेकिन उनकी ऊंचाई बहुत अधिक है और वे हमारी पहुँच के बाहर हैं। क्योंकि हम उस जमाने के नहीं हैं जिस जमाने का मंत्र है और वह मंत्र उस समय के लोगों के लिए ही अनुकूल है। पुराने मंत्र परमात्मा के एकदम करीब हैं लेकिन हमसे बहुत दूर हैं। वे इतने ऊँचे है कि हम जीवनभर कुद-कुदकर मर जाएँ , उन तक हमारा हाथ नहीं पहुँच पाएगा। तो ऐसे मंत्र हमारे क्या काम के?
'गुरुमंत्र' आसान है , आज का है , उसे आसानी से पकडा जा सकता है। वह अभी-अभी जन्मा है इसलिए हमारे एकदम करीब है। लेकिन उसे पकड़कर उस पर अभ्यास करना होगा, साधना करनी होगी। गुरुमंत्र तो वह रस्सी है जो आपके पास में लटक रही है। बस , पकड़कर , उसे अपनाकर चढ़ने की आवश्यकता है।
गुरुशक्तियाँ अनावश्यक कार्य कभी नहीं करती , इसलिए आज की आवश्यकता के अनुसार आज का गुरुमंत्र बनाया है। और उस गुरुमंत्र को अपनाकर *अनुभूति के रूप में आपको भी प्रमाण मिल गया है।*
*हिमालय का समर्पण योग ५/९१*
*॥आत्म देवो भव:॥*
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