माध्यम

" जिनमे पाने की पात्रता है , वे तुम्हे दर्शन से ही पा जाएँगे | क्योंकि तुम्हारा शरीर तो कोवल उसका माध्यम है , तुम तो निमीत्तमात्र हो| जैसे हम तुम्हें देखकर , तुम्हें किन शक्तियों ने भेजा है , वह जान गए थे , वैसे ही तुम्हें देखते ही वह आत्माएँ जान लेंगी जो हमसे यह ज्ञान लेना चाहती हैं | तुम्हारे शरीर से एक अनुभूती होती है | वह अनुभूती भी सारा ज्ञान करा सकती है | यह ठीक वैसा ही है  जैसे हम एक बोतल ग्लूकोज की लगाते थे और बाकी दवाइयॉ उसी के माध्यम से देते थे | वैसा ही यह है , एक अनुभूती सारा ज्ञान करा देगी |"

हि.स.यो.
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