माध्यम
" जिनमे पाने की पात्रता है , वे तुम्हे दर्शन से ही पा जाएँगे | क्योंकि तुम्हारा शरीर तो कोवल उसका माध्यम है , तुम तो निमीत्तमात्र हो| जैसे हम तुम्हें देखकर , तुम्हें किन शक्तियों ने भेजा है , वह जान गए थे , वैसे ही तुम्हें देखते ही वह आत्माएँ जान लेंगी जो हमसे यह ज्ञान लेना चाहती हैं | तुम्हारे शरीर से एक अनुभूती होती है | वह अनुभूती भी सारा ज्ञान करा सकती है | यह ठीक वैसा ही है जैसे हम एक बोतल ग्लूकोज की लगाते थे और बाकी दवाइयॉ उसी के माध्यम से देते थे | वैसा ही यह है , एक अनुभूती सारा ज्ञान करा देगी |"
हि.स.यो.
४/२६५
४/२६५
Comments
Post a Comment