समर्पण ध्यान
*"समर्पण हाऊस "*
*फोग्स डोर्फ -जर्मनी*
*18/8/2014*
*फोग्स डोर्फ -जर्मनी*
*18/8/2014*
*"समर्पण " ध्यान की वह पद्धति हैं , जो सामान्य से सामान्य मनुष्य को भी "आत्मा के अधीन "रहकर जीना सीखलाती है । इस पद्धति में आत्मा को प्रधानता दी जाती है । तो शरीर को बीना कष्ट दिये भी शरीर की प्रधानता कम हो जाती है । य़ह ठीक वैसा ही है , जैसे किसी लकीर को बीना काटे छोटा करना हो तो इसके आगई एक नयी बड़ी लकीर खेच दी जाये । आत्मभाव की लकीर साधक जीवन में जितनी बड़ी खेचता है , उतनी ही छोटी इसके "शरीरभाव " की लकीर हो जाती है , और "शरीरभाव " की लकीर छोटी हो जाने पर शरीर से संबंधित समस्याएँ भी छोटी हों जाती है । क्योंकि जीवन की सारी समस्याएँ ही शरीर से ही संबंधित होती है और इस प्रकार साधक का जीवन सूखी हो जाता है ।*
*✍--बाबा स्वामी*
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