संचालक, आचार्य एवं पदाधिकारियों के लिये कहा बाबा ने, फर्क नाही मैं और मंगलमुर्ति, चलता फिरता हु सीर्फ मै, नाही मंगलमुर्ति, हाथ-पैर मेरे, माध्यम आपही को है बनना, माध्यम ही, मुझे चलाते फिराते है समझना, आदर्श माध्यम बनके, आपको ही है दिखाना। हम माध्यम को ही, बाबा की मिली है अधिकृता, इस्तेमाल अधिकृतता का, सही हमें है करना, इसीको स्थिति सुधारने का, मौका हमें है बनाना, फर्ज़ तीन साल निभा के, पुन्य कर्म है कमाना, सेतु, बाबा और साधकों के बीच हमे है बनना, अबतो आदर्श माध्यम, बनके ही हमें है दिखाना। गुरुओ के गुरूओ को, इस धरा पे जन्म है लेना, इसलिये समर्पण विवाह के, गुरूकार्य में हमें है जुडना। आशीर्वचन बाबा के, सबको हमें है दिलवाना, इसलिये मधुचैतन्य का, लवाजम है करवाना। चित्तशुध्दि या समस्या निवारण, यज्ञ मे है सबको बैठाना, इसलिये आश्रम तक, साधको को है लेजाना, अबतो आदर्श माध्यम, बनके ही हमें है दिखाना। चैतन्य बाबा का, साधकों में हमें है बांटना, संदेश बाबा के, साधकों तक हमें है लेजाना, समर्पण साहित्य को, आम तक हमें है पहुचाना, रजिस्ट्रेशन और अनुदान को, आगे तक हमें है देना, अबतो