ऋण

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हम जब किसी घर में जन्म लेते हैं , तो कई ऋण होते हैं - पितृऋण , मातूऋण ,अन्य रिश्तों के ऋण। हम जब तक वे सब नहीं उतरते , हम उनमें से मुक्त नहीं होते हैं। और जब तक मुक्त नहीं होते , हम आगे बठ नहीं पाते हैं।
भाग २ -- ९०
🙏जय बाबा स्वामी 🙏

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