सुक्ष्म शारीर ही शाशवत होता है

स्थुल शरीर नाशवान होता है सुक्ष्म
शारीर ही शाशवत होता है इस लीये
अपना चीत्त सदैव सुक्ष्म शरीर पर ही
रखे प्रत्येक साधक मेरे लीये युनीक हे
प्रत्येक साधक को दीया गया सुक्ष
शरीर का अंश भी युनीक है आप आपको प्राप्त बीज को कैसे वीकसीत करते है वह आपके उपर ही
निभेर है स्थुल शरीर को इस मे बाधा न बनाओ
                  बाबा स्वामी
          फ्रेकफट जमेनी १३/५/२०१७

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