सदगुरु श्री कृष्ण
संदेश यह है की रथ अरजूनका है फिर भी रथ की कमान श्री कृष्ण के हातोँमे शॉप रखी है । सारथी स्वयँम श्री कृष्ण है और उस सारथी के हातोमे अपने रथ की कमान सोँपकर अर्जुन निश्चिंत होकर युद्ध करने को युध्द भूमि पर खड़ा है । अर्जुन " मै " के अहंकार का प्रतीक है , रथ शरीर का प्रतीक मालूम होता है और श्री कृष्ण परमात्मा का प्रतीक है । श्री कृष्ण सदगुरु है और शिष्य अर्जुन है । अर्जुन ने अपनी रथ की कमान उनके हातोँमे दी है । अर्जुन रथ की कमान अपने सदगुरु को देकर हाथ पर हाथ रख बैठा नही है । लड़ने का कर्म वह कर रहा है लेकिन युद्ध के परिणाम की चिंता उसे नही है । वे सब चिँताए उसने सदगुरु श्री कृष्ण को परमात्मा मानकर सोँपि है ।"' .....
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ही .का .स .योग
पन्ना [ २२९/ ३०
ही .का .स .योग
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